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    भारत सरकार के ऊपर कितना कर्ज है?

    May 28, 2020, 17:09 IST

    स्टेटस रिपोर्ट ओन गवर्नमेंट डेब्ट फॉर 2018-19 में बताया गया है कि मार्च 2019 तक देश का कुल सार्वजानिक ऋण सकल घरेलू उत्पाद का 68.6% हो गया है जो कि आसान शब्दों में 13 ट्रिलियन रुपये या फिर 1.3 करोड़ करोड़ हो गया है.आइये इस लेख में जानते हैं कि 2014 से 2019 तक देश के ऊपर कितना कर्ज बढ़ा है?

    Debt on India from 2014 to 2019
    Debt on India from 2014 to 2019

    आज दुनिया में शायद ही ऐसा कोई देश हो जिसने अपने देश को चलाने के लिए ऋण (आंतरिक या बाह्य ऋण) ना लिया हो.दरअसल इसके पीछे ,मुख्य कारण यह है कि सरकार का मुख्य उद्येश्य अपने देश के नागरिकों के कल्याण में वृद्धि करना होता है ना कि अपनी आमदनी में वृद्धि करना.
    भारत सरकार के वित्त मंत्री हर साल घाटे का बजट पेश करते हैं. अर्थात हर साल, भारत सरकार की आमदनी उसके खर्चों से कम होती है.इस प्रकार सरकार का राजस्व घाटा हर साल बढ़ता रहता है.

    ऋण के प्रकार (Type of debt):-

    भारत सरकार, ऋण देश ले अंदर और बाहर दोनों जगहों से ले सकती है. 

    आंतरिक ऋण (Internal Debt):- जो ऋण देश के अंदर ही लिया जाता है उसे ऋण आंतरिक ऋण कहा जाता है. यह ऋण देश के अंदर मौजूद बैंकों, बीमा कंपनियों, रिज़र्व बैंक, कॉर्पोरेट हाउस, म्यूच्यूअल फण्ड कम्पनियाँ इत्यादि से लिया जाता है.

    विदेशी ऋण (External Debt):- देश के बाहर से लिया गया ऋण विदेशी ऋण कहलाता है.यह ऋण मित्र देशों, इंटरनेशनल संस्थाओं और NRIs इत्यादि से लिया जाता है.

    वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ इकॉनोमिक अफेयर्स ने अप्रैल में एक रिपोर्ट जारी की है जिसका नाम है; स्टेटस रिपोर्ट ओन गवर्नमेंट डेब्ट फॉर 2018-19. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मार्च 2019 तक देश का कुल सार्वजानिक ऋण सकल घरेलू उत्पाद का 68.6% हो गया है जो कि आसान शब्दों में 13 ट्रिलियन रुपये या फिर 1.3 करोड़ करोड़ हो गया है. इसे  निकालने का सूत्र इस प्रकार होता है;

    GDP के अनुपात में ऋण: देश के ऊपर टोटल कर्ज/देश की कुल GDP                

    ध्यान रहे कि भारत सरकार के इस पूरे ऋण में राज्य सरकारों द्वारा लिया गया ऋण भी शामिल है.

    भारत सरकार के ऊपर ऋण इस प्रकार है:-(Debt on Indian Government):-

    वर्ष

    राशि (करोड़ रु.)

    GDP का अनुपात

    2011-12

    5917279

    67.7

    2012-13

    6659778

    67.0

    2013-14

    7566767

    67.4

    2014-15

    8334829

    66.8

    2015-16

    9475280

    68.8

    2016-17

    10524777

    68.4

    2017-18

    11740614

    68.7

    2018-19

    13023102

    68.6

    नरेंद्र मोदी जी की सरकार में भारत के ऊपर विदेशी ऋण (How much debt on India during Modi government since 2014)

    भारत के ऊपर विदेशी ऋण 1991 में लगभग 85 बिलियन डॉलर था जो कि 2011 में बढ़कर 317 बिलियन डॉलर हो गया और 2014 में 446 बिलियन डॉलर था जो कि दिसम्बर 2019 के अंत तक सकल घरेलू उत्पाद का 20.1% या 564 बिलियन डॉलर हो गया था.

    यानी कि मोदी जी के प्रधानमन्त्री कार्यकाल में देश के ऊपर 118 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज बढ़ा है. यह आंकड़ा केवल विदेशी ऋण का है इसमें आंतरिक ऋण शामिल नहीं है.

    देश के ऊपर विदेशी ऋण ज्यादा होना ठीक बात नही होती है क्योंकि विदेशी ऋण केवल विदेशी मुद्रा अर्थात डॉलर इत्यादि में ही चुकाया जाता है.

    देश के ऊपर आंतरिक ऋण (Internal debt on India)

    देश के ऊपर आंतरिक ऋण होना उतना खतरनाक नहीं है जितना कि विदेशी ऋण. इसी कारण भारत सरकार अपने कुल ऋण का लगभग 80% देश एक अंदर ही रिज़र्व बैंक की मदद से इकठ्ठा कर लेती है और भारत के राज्य अपने कुल ऋण का लगभग 94% देश के अंदर से ही लेते हैं.

    भारत सरकार को सबसे अधिक मात्रा में आंतरिक ऋण कमर्शियल बैंकों (40%) द्वारा  जबकि 24% बीमा कंपनियों द्वारा और 15% रिज़र्व बैंक द्वारा दिया गया है.

    internal-debt-india-2020

    देश के ऊपर कितना ऋण होना ठीक है? (What is the comfortable limit of Debt)

    विश्व बैंक के अनुसार जिन देशों के ऊपर विदेशी ऋण उनकी GDP के 77% से ज्यादा हो जाता है उनके लिए दीर्घकाल में समस्याएं पैदा होने लगतीं हैं.यदि 77% के बाद ऋण एक प्रतिशत और बढ़ता है तो उस देश की आर्थिक विकास दर 1.7% घट जाती है.

    आज विश्व में सबसे अधिक कर्ज लेने वाला देश जापान है जिसनें अपनी GDP के 238% के बराबर कर्ज ले रखा है इसके बाद अमेरिका ने 106%, ब्राज़ील ने 68.5% और फिर भारत ने 66.8% कर्ज ले रखा है.  

    most-debt-ridden-country-world-2020

    उम्मीद है कि इस लेख को पढने की बाद आप समझ गये होंगे कि देश के ऊपर कितना विदेशी कर्ज है और भारत सरकार किन किन स्रोतों से कर्ज लेती है?

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    Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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