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    बुलेटप्रूफ जैकेट कैसे बनती है और यह कैसे रक्षा करती है?

    Oct 17, 2019, 11:29 IST

    Bulletproof Vests: दुनिया में बढ़ते युद्धों और अराजकता के माहौल में सैनिकों और अन्य सुरक्षा बालों की सरकार की प्राथमिकता बनती जा रही है. इस दिशा में साइंस एंड टेक्नोलॉजी का पूरा योगदान बहुत जरूरी हो जाता है. बुलेटप्रूफ जैकेट आधुनिक समय में सैनिकों की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है. इस जैकेट को इस तरह से बनाया जा है कि इसको पहने हुए व्यक्ति को यदि गोली भी लग जाये तो उसकी जान को कोई खतरा नही होता है.

    Bullet proof jacket
    Bullet proof jacket

    इस लेख में हम इस बात को जानने का प्रयास करेंगे कि यह बुलेटप्रूफ जैकेट कैसे तैयार किया जाता है और यह जैकेट किस तरह गोली के प्रभाव को ख़त्म करती है?

    बुलेटप्रूफ जैकेट बनने में किस प्रकार के मटेरियल का उपयोग किया जाता है?
    बुलेटप्रूफ जैकेट के निर्माण के लिए सबसे पहले इसके लिए जरूरी कपड़ों का निर्माण किया जाता है. इसके लिए फाइबर या फिलामेंट का उत्पादन किया जाता है जो कि वजन में हल्का लेकिन मजबूत होता है. इसमें सबसे प्रसिद्ध मटेरियल का नाम "केवलर" है जो कि एक पैरा-अरैमिड सिंथेटिक फाइबर होता है. केवलर तरल रासायनिक मिश्रण से एक ठोस धागा कताई द्वारा उत्पादित किया जाता है. एक अन्य फाइबर, डाइनीमा है जिसे पॉलीथीन बेस से बनाया जाता है. यह बहुत मजबूत होने के साथ-साथ बहुत हल्का भी होता है.

    बुलेटप्रूफ जैकेट को कैसे तैयार किया जाता है?
    बुलेटप्रूफ जैकेट में दो परतें (layers) होती हैं; सबसे ऊपर सेरैमिक पर्त होती है उसके बाद बैलिस्टिक पर्त लगाई जाती है. इन दोनों परतों को मिलाकर ही जैकेट तैयार होती है.  जैकेट बनाने की प्रक्रिया में फाइबर या फिलामेंट को बड़ी रील के रूप में बना लिया जाता है, इसके बाद इस रील और पालीथीन बेस की सहायता से मजबूत चादर (बैलिस्टिक शीट) का निर्माण किया जाता है. अंतिम रूप से निर्मित बैलिस्टिक शीट के ऊपर तैयार धागे को लगभग 130-200 मीटर (320-660 फीट) की लंबाई में रोल किया जाता है जो कि किसी अन्य वस्त्र के रोल की तरह दिखता है.

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    बुलेटप्रूफ जैकेट कैसे काम करती है?
    जब कोई गोली बुलेटप्रूफ जैकेट से टकराती है तो सबसे पहले वह सेरैमिक लेयर से टकराती है. बेहद मजबूत सेरैमिक लेयर से टकराते ही गोली का आगे का नुकीला सिरा टुकड़ों में टूट जाता है और गोली छोटे कणों के रूप में जैकेट पर फ़ैल जाती है. इस कारण गोली का फोर्स कम हो जाता है और उसकी भेदन क्षमता कम हो जाती है और गोली लगने वाले व्यक्ति को कम नुकसान होता है. इसके बाद का काम बैलिस्टिक पर्त करती है. गोली के सेरैमिक लेयर से टकराकर टूटने के बाद बड़ी मात्रा में जो ऊर्जा निकलती है, उसे बैलिस्टिक पर्त सोख लेती है. इसके चलते बुलेटप्रूफ पहने सैनिक को कम से कम नुकसान होता है और वह सुरक्षित बच जाता है.

    (बुलेटप्रूफ जैकेट गोली से इस प्रकार बचाव करती है)

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    Image source:Bullet Blocker
    बुलेटप्रूफ जैकेट के कितने प्रकार होते हैं

    केवलर एक कॉमन मैटेरियल है, जिसका इस्तेहमाल बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने में किया जाता है. इस मैटेरियल से बनी जैकेट और हेल्मेट को केवलर जैकेट या हेल्मेट कहा जाता है. इसके अलावा वेकट्रैन नाम के मैटेरियल की सहयता से भी बुलेटप्रूफ जैकेट तैयार किये जाते हैं. इससे बनने वाले जैकेट और हेल्मेट को वेकट्रैन जैकेट या वेकट्रैन हेल्मेट के नाम से जाना जाता है. वेकट्रैन जैकेट केवलर से मजबूत मानी जाती है क्योंकि यह स्टील से भी 10 गुना ज्यादा मजबूत मानी जाती है.

    कितनी कीमत की होती है एक जैकेट
    इस जैकेट की कीमत इसमें इस्तेमाल किये जाने वाले मटेरियल के आधार पर तय होती है. वेकट्रैन से बनने वाली जैकेट की कीमत केवलर जैकेट से अधिक होती है. सामान्यी तौर पर एक जैकेट की कीमत 40,000 रुपए से शुरू होकर 2 लाख रुपये तक होती है. इस जैकेट का वजन 8 किलो के आसपास होता है. हालाँकि कानपुर स्थित आर्डिनेंस फैक्ट्री में इससे कम वजन की जैकेट को बनाने का काम जारी है.

    इन जैकेट्स की एक विशेषता यह भी है कि इनको जरूरत के अनुसार अलग-अलग हिस्सों में बांटा जा सकता है जैसे केवल गश्त ड्यूटी में इसके पीछे वाले हिस्से को हटाया जा सकता है और केवल अगले हिस्से को ही पहना जा सकता है. इसी तरह इसके साथ हेल्मेट, गर्दन, कोहनी और कमर के टुकड़ों को अलग किया जा सकता है. इनमें विशेष किस्म की नवीनतम सामग्री लगाई गई है.

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    भारत में बनने वाली सॉलिड बुलेटप्रूफ जैकेट 100 से ज्या्दा देशों की सेनाओं द्वारा इस्तेमाल की जा रही हैं जिनमे कुछ बड़े नाम हैं: ब्रिटेन, जर्मनी, स्पे‍न और फ्रांस आदि. भारत में दिल्ली से सटा हुआ फरीदाबाद क्षेत्र इस दिशा में बहुत ही तरक्की कर रहा है औत यहाँ पर बड़ी मात्रा में बुलेटप्रूफ जैकेटों का उत्पादन किया जा रहा है.

    Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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