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    नया H1-B वीजा विधेयक: भारत को होने वाले 5 नुकसान

    Nov 22, 2019, 16:28 IST

    H1-B वीजा एक गैर-अप्रवासी वीजा है जो संयुक्त राज्य अमेरिका में काम करने के लिए आने वाले विदेशी मूल के कामगारों को दिया जाता है. यूएस इमिग्रेशन एक्ट, 1990 के अनुसार, 65,000 विदेशी नागरिक प्रत्येक वित्तीय वर्ष में H-1B वीजा प्राप्त कर सकते हैं। 20000 एच -1 बी के अलावा, उन विदेशी छात्रों के लिए उपलब्ध हैं, जिन्होंने अमेरिकी विश्वविद्यालयों से मास्टर या उच्चतर डिग्री पूरी की है. नये वीज़ा बिल एक अनुसार अमेरिका आने वाले कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 60,000 से 1 लाख डॉलर करने का प्रस्ताव है.

    H1B Visa
    H1B Visa

    H1-B वीजा क्या है? (What is H1B Visa )

    H1-B एक गैर-अप्रवासी वीजा है जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका में आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम की धारा 101 (15) के तहत दिया जाता है। यह वीजा अमेरिकी कम्पनियों को विभिन्न व्यवसायों में विदेशी कामगारों को अस्थायी रूप से अमेरिका में रोजगार देने की अनुमति देता है। मौजूदा अमेरिकी कानून के मुताबिक एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 65,000 विदेशी नागरिकों को H1-B वीजा दिया जा सकता है।

    अभी H1-B  वीज़ा कार्यक्रम के तहत अमेरिका स्थित कंपनियां वर्ष में 85,000 विदेशी कामगारों को रोजगार देतीं है जिसमे 65,000 लोग विदेशों से बुलाये जाते हैं और 20,000 वो लोग होते हैं जो कि अमेरिका में पढाई करने आते हैं|

    नये राष्ट्रपति ट्रम्प की मुख्य चिंता यह है कि अमेरिका की नौकरियों पर हक़ सिर्फ अमेरिका के लोगों का होना चाहिए इसी कारण ट्रम्प प्रशासन इस कानून में परिवर्तन कर विदेशी कर्मचारियों के लिए इस वीज़ा की शर्तों को कठिन करने के लिए एक नया बिल अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में लाया है| इस बिल में प्रतिवर्ष जारी किये जाने वाले H1-वीज़ा की संख्या को कम किया जा सकता है और H1-वीज़ा के लिए ली जाने वाली फीस को भी दुगुना किया जा सकता है |

    H1B VISA

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    H1-B वीज़ा शुल्क (H1-B filing fee) कितना देना होगा?

    यह शुल्क नौकरी देने वाली कंपनी के आकार पर निर्भर करता है क्योंकि इस शुल्क का बड़ा हिस्सा कम्पनी को ही देना पड़ता है|इस प्रकार H1-B वीज़ा शुल्क $1,600 से लेकर $7,400+अटार्नी शुल्क (यदि हो तो) देना पड़ता है| नये बिल में सरकार इस फीस को दुगुना कर सकती है |

    भारत की आईटी इंडस्ट्री का आकार क्या है?

    पिछले तीन दशकों में भारतीय आईटी इंडस्ट्री 140 अरब डॉलर (9540 अरब डॉलर) की हो गई है | भारतीय आईटी कंपनियों का आधा व्यापार अमेरिका और एक चौथाई यूरोप से होता है| हालांकि इसकी सफलता के पीछे अमीर देशों की कंपनियों द्वारा भारत में उपलब्ध सस्ते आईटी प्रोफेशनल्स को काम पर लगाना है| ज्ञातव्य है कि भारतीय और विदेशी कम्पनियाँ भारत के पढ़े लिखे इंजिनीरिंग ग्रेजुएट्स को तीन-साढ़े तीन लाख रुपये (लगभग 5500 डॉलर) प्रतिवर्ष के वेतन पर नियुक्त कर लेती हैं| ये कर्मचारी थोडा अनुभव प्राप्त कर यूरोप और अमेरिका में तैनात कर दिए जाते हैं जबकि इनके साथ काम करने वाले इसी देश के कर्मचारी भारी सैलरी पर नियुक्त किये जाते हैं|

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    इस बिल के कारण सम्पूर्ण विश्व को होने वाली 5 हानियाँ इस प्रकार हैं :-

    1. अमेरिकी श्रम विभाग के 2015 के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिकी IT इंडस्ट्री 2014 से 2024 के बीच 12% की दर से बढ़ेगी| लेकिन अमेरिका केवल अपनी जनसंख्या के आधार पर 2018 तक केवल 2.4 मिलियन लोगों की ही आपूर्ति कर पायेगा बकाया के लोगों को पाने के लिए उसे दूसरे देशों की मदद लेनी ही होगी| इस प्रकार निष्कर्ष यह निकलता है कि नया H1-B वीज़ा बिल ना केवल भारत बल्कि समूचे विश्व एवं खुद अमेरिका के हित में भी नही है |

    JOBS BY H1B VISA

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    2. ज्ञातव्य है कि H1-B वीज़ा पर भारतीय आईटी कम्पनियाँ बड़ी संख्या में कर्मचारियों को अमेरिका में भेजतीं है| नये वीज़ा बिल के अनुसार अमेरिका आने वाले कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 60,000 डॉलर से 1 लाख डॉलर करने का प्रस्ताव है| इससे स्पष्ट है कि यह नया कानून आईटी कंपनियों की लागत में वृद्धि कर देगा जिससे उनके लाभ में कमी आयेगी |

    3. अभी हर साल 65000 नये H1B वीज़ा जारी किये जाते हैं लेकिन इस नये बिल के कारण इस वीज़ा संख्या में कमी की जायेगी जिससे भारतीय लोगों के लिए अमेरिका में काम करने जाना बहुत कम हो जायेगा हालांकि अमेरिका के लोगों के लिए रोजगर के अधिक अवसर खुलेंगे |

    4. अमेरिका में भारतीय आईटी उद्योग ने अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष तौर पर 4,11,000 नौकरियों का सृजन किया है और करों में हर साल 5 अरब डॉलर का योगदान देता है। इस नये बिल से अमेरिका को यह टैक्स मिलना बंद हो जायेगा| ज्ञातव्य है कि H1-B वीज़ा का लगभग 90% शीर्ष 7 भारतीय आईटी कंपनियों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। अमेरिका में इंफोसिस के कर्मचारियों की संख्या का 60% से अधिक, H1-B  वीज़ा धारक हैं |

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    5. इस बिल के कारण H1-B वीज़ा धारकों के लिए न्यूनतम मजदूरी $60,000 से बढ़कर $130,000 हो जायेगी जो कि कंपनियों के लिए बहुत ही घाटे का सौदा होगा क्योंकि उनको इस लागत बढ़ोत्तरी के बदले में कुछ नही मिल रहा है (कर्मचारियों की गुणवत्ता को दुगुना करना आसान नही है)| यह बात बताना जरूरी है कि अभी H1-B वीजा के माध्यम से कार्यरत एक कुशल विदेशी कर्मचारी का वर्तमान औसत वार्षिक वेतन $100,000 है।

    इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि ट्रम्प सरकार का यह नया बिल न सिर्फ अमेरिका के लिए हानिकारक होगा बल्कि भारत सहित सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करेगा |

    H1-वीज़ा प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या है ?

    Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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