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    Kartarpur Sahib Corridor reopens today: करतारपुर कॉरिडोर क्या है?

    Nov 17, 2021, 12:39 IST

    गुरु पर्व 19 नवंबर 2021 (शुक्रवार) को मनाया जाएगा, केंद्र ने 17 नवंबर से करतारपुर साहिब कॉरिडोर को फिर से खोलने की घोषणा की और कहा कि इससे बड़ी संख्या में सिख तीर्थयात्रियों को फायदा होगा. आइये इस लेख के माध्यम से करतारपुर कॉरिडोर के बारे में जानते हैं.  

    Kartarpur Corridor
    Kartarpur Corridor

    गुरु पर्व से पहले, केंद्र ने आज (17 नवंबर) से करतारपुर कॉरिडोर को फिर से खोलने की घोषणा की, जो भारत और पाकिस्तान में सिख तीर्थस्थलों को जोड़ता है. अब कॉरिडोर के जरिए भारत से पाकिस्तान की ओर आवाजाही शुरू होगी.

    केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, "यह निर्णय श्री गुरु नानक देव जी और हमारे सिख समुदाय के प्रति मोदी सरकार की अपार श्रद्धा को दर्शाता है." यह निर्णय "COVID-19 की स्थिति में सुधार" को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. पाकिस्तान ने पिछले हफ्ते भारत से गलियारे को फिर से खोलने और सिख तीर्थयात्रियों को गुरु नानक जयंती समारोह के लिए जाने की अनुमति देने का आग्रह किया था.

    पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने घोषणा की कि कॉरिडोर के फिर से खुलने के बाद पहले प्रतिनिधिमंडल के एक हिस्से के रूप में 18 नवंबर को पूरा मंत्रिमंडल करतारपुर साहिब का दौरा करेगा.

    करतारपुर साहिब सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है और गुरुनानक देव जी का निवास स्थान. यहीं पर उन्होंने अपनी अंतिम सांसें ली थीं. ये स्थान पाकिस्तान में भारत की सीमा से लगभग 3 से 4 किलोमीटर की दूरी पर है. श्रद्धालु भारत में दूरबीन की मदद से दर्शन करते हैं. दोनों सरकारों की सहमति से करतारपुर साहिब कॉरिडोर बनाया गया है.

    करतारपुर साहिब क्या है?

    करतारपुर साहिब सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है. यह सिखों के प्रथम गुरु, गुरुनानक देव जी का निवास स्थान था और यहीं पर उनका निधन भी हुआ था. बाद में उनकी याद में यहां पर गुरुद्वारा बनाया गया. इतिहास के अनुसार, 1522 में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक करतारपुर आए थे. उन्होंने अपनी ज़िंदगी के आखिरी 17-18 साल यही गुज़ारे थे. 22 सितंबर 1539 को इसी गुरुद्वारे में गुरुनानक जी ने आखरी सांसे ली थीं. इसलिए इस गुरुद्वारे की काफी मानयता है.

    करतारपुर साहिब कहां पर स्थित है?

    करतारपुर साहिब, पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है. यह भारत के पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक से तीन से चार किलोमीटर दूर है और करीब लाहौर से 120 किमी. दूर है.

    करतारपुर साहिब कॉरिडोर क्या है?

    What is Kartarpur Sahib Corridor

    Source: www.tribuneindia.com

    भारत में पंजाब के डेरा बाबा नानक से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक कॉरिडोर का निर्माण किया गया है और वहीं पाकिस्तान भी सीमा से नारोवाल जिले में गुरुद्वारे तक कॉरिडोर का निर्माण हुआ है. इसी को करतारपुर साहिब कॉरिडोर कहा गया है.

    आखिर क्यों खास है यह करतारपुर साहिब कॉरिडोर?

    करतारपुर साहिब को सबसे पहला गुरुद्वारा माना जाता है जिसकी नींव श्री गुरु नानक देव जी ने रखी थी और यहीं पर उन्होंने अपने जीवन के अंतिम साल बिताए थे. हालांकि बाद में यह रावी नदी में बाढ़ के कारण बह गया था. इसके बाद वर्तमान गुरुद्वारा महाराजा रंजीत सिंह ने इसका निर्माण करवाया था.

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    भारत के श्रद्धालु अभी तक कैसे दर्शन करते आए हैं?

    Kartarpur Sahib Corridor

    Source: www. globalpunjabtv.in.com

    भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय, ये गुरुद्वारा पाकिस्तान में चला गया था इसीलिए भारत के नागरिकों को करतारपुर साहिब के दर्शन करने के लिए वीसा की जरुरत होती है. जो लोग पाकिस्तान नहीं जा पाते हैं वे भारतीय सीमा में डेरा बाबा नानक स्थित गुरुद्वारा शहीद बाबा सिद्ध सैन रंधावा में दूरबीन की मदद से दर्शन करते हैं. ये गुरुद्वारा भारत की तरफ की सीमा से साफ नजर आता है. पाकिस्तान में सरकार इस बात का ध्यान रखती है कि इस गुरुद्वारे के आस-पास घास जमा न हो पाए इसलिए इसके आस-पास कटाई-छटाई करवाती रहती है ताकि भारत से इसको अच्छे से देखा जा सके और श्रधालुओं को कोई तकलीफ न हो. क्या आप जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के सीमा के करीब में सिखों के और भी धार्मिक स्थान हैं जैसे डेरा साहिब लाहौर, पंजा साहिब और ननकाना साहिब उन गांव.

    अब देखते हैं कि इस कॉरिडोर को क्यों खोला गया?

    कॉरिडोर के बनने से सिख समुदाय के लोग आसानी से दर्शन कर पाएंगे उनका सालों का इंतज़ार अब खत्म हो गया.  550वां प्रकाश पर्व मनाने के लिए करतारपुर कॉरिडोर को भारत और पाकिस्तान की दोनों सरकारों की सहमती से खोला गया और नवंबर 2018 में इसका शिलान्यास भी कर दिया गया था.

    ये कॉरिडोर कहां बनाया गया?

    Kartarpur Sahib Corridor

    इस कॉरिडोर को डेरा बाबा नानक जो गुरुदासपुर में है, वहां से लेकर अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर तक बनाया गया है. यह बिलकुल एक बड़े धार्मिक स्थल के जैसा ही है. यह कॉरिडोर लगभग 3 से 4 किमी का है और इसको दोनों देशों की सरकारों ने फंड किया है. 

    कॉरिडोर के बनने से भारत और पाकिस्तान को क्या फायदा होगा?

    करतारपुर कॉरिडोर के बनने से तीर्थयात्री बिना वीजा गुरुद्वारे के दर्शन करने के लिए जा सकेंगे. इसमें कोई संदेह नहीं है कि इसके बनने से भारत और पाकिस्तान के संबंधों में सुधार होगा. ऐसा पहली बार होगा जब बिना रोक-टोक के लोग बॉर्डर पार करेंगे. साथ ही पाकिस्तान और पंजाब में टूरिज्म को भी काफी बढ़ावा मिलेगा, कहा जा रहा है कि यात्रियों के आने-जाने से वहां पर आस-पास की प्रॉपर्टी की कीमतों में भी इज़ाफा होगा.

    1999 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जब लाहौर बस यात्रा की थी तब पहली बार करतारपुर साहिब कॉरिडोर को बनाने का प्रस्ताव दिया था.

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    करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के बारे में कुछ रोचक तथ्य

    - इतिहास के अनुसार, गुरुनानक देव जी ने करतारपुर में ही सिख धर्म की स्थापना की थी और यहीं पर उनका पूरा परिवार बस गया था.

    - रावी नदी पर उन्होंने एक नगर बसाया और पहली बार यहीं पर खेती कर ‘नाम जपो, किरत करो और वंड छको’ (नाम जपों, मेहनत करों और बांटकर खाओं) का उपदेश दिया था.

    - यहीं पर गुरुनानक देव जी ने 1539 में समाधि ली थी.

    - इसी गुरुद्वारे में सबसे पहले लंगर की शुरुआत हुई थी. यहां जो भी आता था गुरु नानक साहब उसको बिना खाए जाने नहीं देते थे.

    - करतारपुर गुरुद्वारे में गुरुनानक देव जी की समाधि और कब्र दोनों अब भी मौजूद हैं. समाधि गुरुद्वारे के अंदर है और कब्र बाहर है.

    तो ऐसा कहा जा सकता है कि करतारपुर साहिब कॉरिडोर के बनने से भारत और पाकिस्तान के संबंधों में सुधार होगा और सिख श्रद्धालुओं को गुरुद्वारे के दर्शन करने का भी अवसर मिलेगा.

    अंत में गुरु नानक जी के बारे में अध्ययन करते हैं.

    Facts about Guru Nanak ji

    Source: www.firstpost.com

    जन्म: 15 अप्रैल 1469 राय भोई तलवंडी, (वर्तमान ननकाना साहिब, पंजाब, पाकिस्तान)
    मृत्यु: 22 सितंबर 1539, करतारपुर
    समाधि स्थल: करतारपुर
    व्यवसाय: सिखधर्म के संस्थापक
    पूर्वाधिकारी: गुरु अंगद देव

    - गुरु नानक जी के पिता का नाम क्ल्यानचंद या महता कालू जी और माता का नाम तृप्ता था.

    - गुरु नानक जी का विवाह बटाला निवासी मूलराज की पुत्री सुलक्षिनी से वर्ष 1487 में हुआ था. उनके दो पुत्र थे एक का नाम श्री चंद और दुसरे का नाम लक्ष्मी दास था.

    - गुरुनानक जी ने करतारपुर नगर की स्थापना की और वहां एक धरमशाला बनवाई थी जिसे आज करतारपुर साहिब गुरुद्वारा के नाम से जाना जाता है.

    - सिख धर्म का धार्मिक चिन्ह खंडा है और यह सिखों का फौजी निशान भी है.

    - गुरु नानक सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु भी थे. इन्होनें ही शिक्षाओं की नींव रखी जिस पर सिख धर्म का गठन हुआ था.

    - अपनी शिक्षाओं को फैलाने के लिए उन्होंने दक्षिण एशिया ओए मध्य पूर्व में यात्रा की.

    - उनकी शिक्षाओं को 974 भजनों के रूप में अमर किया गया, जिसे 'गुरु ग्रंथ साहिब' धार्मिक ग्रंथ के नाम से जाना जाता है.

    सिखों का प्रमुख त्योहार “गुरू नानक गुरूपर्व”

     

    Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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