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    OPEC क्या है और यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों को कैसे प्रभावित करता है?

    Oct 10, 2019, 16:29 IST

    OPEC की स्थापना 10-14 सितम्बर, 1960 को ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेज़ुएला द्वारा बगदाद सम्मेलन में की गयी थी. यह पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों का एक स्थायी अंतर सरकारी संगठन है. सितंबर, 2019 में विश्व के कुल कच्चे तेल उत्पादन में ओपेक सदस्य देशों का हिस्सा 33.1% था. ओपेक के कुल उत्पादन 32,761 मिलियन बैरल प्रतिदिन में सऊदी अरब लगभग 32% योगदान देता है. वर्तमान में ओपेक के कुल 14 सदस्य देश हैं. 

    OPEC Members Map
    OPEC Members Map

    ओपेक का संक्षिप्त इतिहास (Brief History of OPEC)

    ओपेक, पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों का एक स्थायी अंतर सरकारी संगठन है. इसकी स्थापना 10-14 सितम्बर, 1960 को ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेज़ुएला द्वारा “बगदाद सम्मेलन” में की गयी थी.

    बाद में पांच संस्थापक सदस्यों को दस अन्य सदस्यों द्वारा ज्वाइन किया गया:ये देश हैं; कतर (1961); इंडोनेशिया (1962),लीबिया (1962); संयुक्त अरब अमीरात (1967); अल्जीरिया (1969); नाइजीरिया (1971); इक्वाडोर (1973), अंगोला (2007); गैबन (1975) इक्वेटोरियल गिनी (2017); और कांगो (2018). इन सदस्य देशों में से कुछ ने ओपेक की सदस्यता छोड़ दी है.

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    वर्तमान में ओपेक संगठन के कुल 14 सदस्य देश हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं;

    1. अल्जीरिया

    2. अंगोला

    3. कांगो

    4. इक्वाडोर

    5. गिनी

    6. गैबन

    7. इराक

    8. ईरान

    9. कुवैत

    10. लीबिया

    11. नाइजीरिया

    12. सऊदी अरब

    13. संयुक्त अरब अमीरात

    14. वेनेजुएला

    नोट: क़तर, 1 जनवरी 2019 से ओपेक से बाहर हो गया है.

    ओपेक की स्थापना के पहले 5 वर्षों तक इसका मुख्यलय का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में था लेकिन इसे 1 सितंबर, 1965 को ऑस्ट्रिया के वियना में स्थानांतरित कर दिया गया था.

    OPEC headquarters

    ओपेक के उद्देश्य

    ओपेक का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच पेट्रोलियम नीतियों को समन्वयित और एकजुट करना है ताकि पेट्रोलियम उत्पादक देशों के लिए उचित और स्थिर कीमतों को सुनिश्चित किया जा सके. इन उद्येश्यों की पूर्ती के लिए ओपेक यह प्रयास करता है कि ओपेक के सदस्य देश डेली एक निश्चित मात्रा में उत्पादन और निश्चित आपूर्ति करें ताकि कच्चे तेल की कीमतों को उतार-चढ़ाव से बचाया जा सके. इसके अलावा यह तेल उद्योग में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों की रक्षा भी करना चाहता है.

    ओपेक में कौन देश कितना तेल उत्पादित करता है? (अगस्त 2019 तेल उत्पादन)

    ओपेक के 14 देशों में सबसे बड़ा उत्पादक देश सऊदी अरब है. ओपेक के कुल उत्पादन 32,761 मिलियन बैरल प्रतिदिन में सऊदी अरब लगभग 32% हिस्सा या  9,805 मिलियन बैरल कच्चा तेल प्रतिदिन उत्पादित करता है. इसके बाद 4,779 मिलियन बैरल प्रतिदिन उत्पादन के साथ इराक दूसरे और तीसरे नम्बर पर U.A.E. (3,085  मिलियन बैरल प्रतिदिन) है.

    opec oil production

    ओपेक अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों को कैसे प्रभावित करता है?

    ओपेक के कुल 14 सदस्य देशों द्वारा  सितम्बर 2019 में ओपेक का कुल सकल उत्पादन 26,756 हजार बैरल प्रतिदिन था.

    OPEC-OIL-PRODUCTION

    ज्ञातव्य है कि वर्ष सितम्बर 2019 के लिए  गैर-ओपेक सदस्य देशों द्वारा कुल औसतन उत्पादन 18,795 हजार बैरल प्रतिदिन था. 

    इस प्रकार के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि पूरे विश्व के तेल उत्पादन में ओपेक के सदस्य देशों का कितना अहम् योगदान है.

    तेल बाजार पर ओपेक के सबसे शक्तिशाली उपकरणों में से एक है; ‘तेल उत्पादन में कटौती’. जब ओपेक के सदस्य देशों को लगता है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गिर रही हैं तो ये सभी देश अपने आवंटित तेल के कोटे में कमी कर देते हैं जिससे कि पूरे विश्व में तेल की आपूर्ति कम हो जाती है और तेल के दाम फिर से बढ़ने लगते हैं.

    ज्ञातव्य है कि विश्व के लगभग 100 देश ही कच्चे तेल का उत्पादन करते हैं बाकी से सभी आयात से काम चलाते हैं. ऐसे माहौल में कच्चे तेल की बढती कीमतें इनकी आर्थिक हालत को बहुत प्रभावित करती हैं.

    top crude importers world

    आर्थिक सर्वेक्षण,2018 का अनुमान है कि तेल की कीमत में प्रति 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि होने पर सकल घरेलू उत्पाद में 0.2-0.3 प्रतिशत की कमी, डब्ल्यूपीआई आधारित मुद्रास्फीति में 1.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी और करेंट अकाउंट डेफिसिट में 9-10 अरब डॉलर की वृद्धि हो जाती है.

    भारत के लिए ओपेक द्वारा तेल उत्पादन में कमी करने से भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत ही विपरीत असर पड़ता है क्योंकि भारत अपनी कुल तेल आवश्यकता का 82% आयात करता है भारत के कुल आयात बिल में ब्रेंट क्रूड ऑयल का हिस्सा लगभग 28% है. एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019 में कच्चे तेल की कीमत में औसतन 12% बढ़ोत्तरी की उम्मीद है.

    यहाँ पर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि भारत में बढती तेल की कीमतों के कारण सरकारें भी बदल जातीं हैं. अभी हाल ही में भारत में जब डीजल और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि हुई थी तो पूरे देश में विपक्ष सड़कों पर उतर आया था.

    अब समय की मांग यह है कि भारत को कच्चे तेल से आयात से अपनी निर्भरता घटानी होगी तभी देश के विकास के पहिये को तेज गति से चलाया जा सकता है.

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    Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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