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    RBI के नये नियम से बैंक फ्रॉड की कितनी राशि ग्राहकों को वापस मिलेगी

    Jul 12, 2017, 16:40 IST

    भारतीय रिज़र्व बैंक के नये दिशा निर्देशों के अनुसार यदि कोई ग्राहक ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड या इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों का उपयोग करते हुए स्टोर्स में फेस-टू-फेस लेनदेन फ्रॉड (जैसे कार्ड को क्लोन करना) का शिकार होता है और वह इस फ्रॉड की सूचना सम्बंधित बैंक को फ्रॉड होने की तिथि से तीन दिन के अन्दर दे देता है तो उसे कोई वित्तीय नुकसान नही होगा अर्थात पूरा पैसा बैंक द्वारा ग्राहक को लौटाया जायेगा.

    केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण (2017-18) में इस वर्ष कहा था कि, "यूपीआई, यूएसएसडी, आधार, आईएमपीएस और डेबिट कार्ड के डिजिटल माध्यम से लेनदेन का लक्ष्य 2,500 करोड़ रखा गया है. भारत में वर्ष 2016 में 1512 करोड़ रुपये का डिजिटल लेनदेन हुआ था. नोटबंदी के समय नवम्बर 2016 से जनवरी 2017 तक देश में डिजिटल लेनदेन का आकार 1560 करोड़ का हो गया था और इस अवधि में देश में 545 करोड़ डिजिटल लेनदेन हुए थे जो कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 38% अधिक है.

    mobile banking
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    इस प्रकार जब सरकार देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ाना चाहती है तो साइबर अपराधी भी इस मौके से फायदा उठाना चाहते हैं. देश में रोजाना इन्टरनेट बैंकिंग के माध्यम से होने वाले फ्रॉड की घटनाएँ (चाहे वे चीन से SBI के खातों से रुपये निकालने की घटना हो या लोगों को कॉल करके पिन नम्बर मांगने की घटनाएँ) बढती जा रही हैं. इस प्रकार के माहौल में भारत के केन्द्रीय बैंक ने कमर्शियल बैंकों के लिए नये दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं ताकि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जा सके.

    sbi banking fraud
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    भारतीय रिज़र्व बैंक के नये दिशा निर्देशों के अनुसार यदि कोई ग्राहक ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड या इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों का उपयोग करते हुए स्टोर्स में फेस-टू-फेस लेनदेन फ्रॉड (जैसे कार्ड को क्लोन करना) का शिकार होता है और वह इस फ्रॉड की सूचना सम्बंधित बैंक को फ्रॉड होने की तिथि से तीन दिन के अन्दर दे देता है तो उसे कोई वित्तीय नुकसान नही होगा. अर्थात रिजर्व बैंक ने ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड से ग्राहकों को बचाने की दिशा में पहल करते हुए ग्राहकों के लिए “शून्य जवाबदेही” की नीति बनायी है.

    card swipe
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    रिजर्व बैंक पहले ही 31 दिसंबर 2018 तक मैग्नेटिक स्ट्रिप आधारित तमाम कार्डों का प्रचलन बंद करने का निर्देश दे चुका है. अब तक प्रचलित डेबिट या क्रेडिट कार्ड को क्लोन करना बेहद आसान है. भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल के दिनों में ग्राहकों की सुरक्षा के लिए एटीएम कार्ड को चिप-आधारित बनाने जैसे कई कदम उठाए हैं.
    शून्य जवाबदेही में क्या क्या शामिल है?
    1.
    अगर कोई बैंक फ्रॉड, किसी तीसरे पक्ष (third party breach) के द्वारा हुआ है जिसमे “बैंक” शामिल नही है तो ग्राहक को कोई नुकसान नही होगा यदि उसने अनधिकृत लेनदेन के संबंध तीन कार्य दिवसों के अन्दर बैंक को सूचित कर दिया है. अनधिकृत लेनदेन का समय उस समय से गिना जायेगा जब ग्राहक को इसकी सूचना मेसेज या ईमेल में माध्यम से मिलती है.

    bank fraud
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    2. जो फ्रॉड ग्राहक की लापरवाही से हुआ है जैसे 'किसी अनजान को पासवर्ड बताना' तो इस दशा में नुकसान की पूरी जिम्मेदारी तब तक ग्राहक की होगी जब तक कि वह बैंक को सूचना नही दे देता है. यदि बैंक को सूचना देने के बाद भी फ्रॉड होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी बैंक पर होगी.

    bank call fraud
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    3. यदि कोई फ्रॉड किसी तीसरी पार्टी ने किया है और ग्राहक ने 3 दिनों के अन्दर बैंक को इस सम्बन्ध में कोई सूचना नही दी है और 4 से 7 दिन के अन्दर बैंक को सूचना दी है तो इस सम्बन्ध में बुनियादी बचत बैंक खाता (basic savings bank account) के लिए अधिकत्तम 5000 रुपये का नुकसान ग्राहक को खुद उठाना पड़ेगा. लेकिन यदि कोई अन्य प्रकार का खाता है (जैसे 5 लाख तक की क्रेडिट लिमिट वाला क्रेडिट कार्ड, 25 लाख तक के बैलेंस वाला करंट अकाउंट और ओवरड्राफ्ट अकाउंट) तो नुकसान की राशि बढ़कर 10000 रुपये हो जाएगी. यदि कोई ग्राहक 7 दिनों के बाद बैंक को सूचना देता है तो उसे कितना रुपया वापस किया जायेगा इसका निर्धारण बैंक की एक समिति द्वारा किया जायेगा.

    zero liability compensation rate
    4. पांच लाख रुपये से ऊपर की सीमा वाले क्रेडिट कार्ड, 25 लाख रुपये से ऊपर के करंट अकाउंट और ओवरड्राफ्ट खातों में फ्रॉड होने पर ग्राहक को अधिकत्तम 25,000 रुपये का नुकसान होगा.
    ग्राहक को शून्य जवाबदेही का लाभ तभी मिलेगा जब
    1. बैंक की लापरवाही की वजह से फ्रॉड होता है.
    2. यदि किसी तीसरी पार्टी द्वारा बैंक की भागीदारी के बिना फ्रॉड किया जाता है. लेकिन यदि इस प्रकार के फ्रॉड की रिपोर्ट बैंक के पास तीन कार्यकारी दिनों में अन्दर कर दी जाती है.
    इस प्रकार उपर्युक्त लेख में हमने पढ़ा कि किस प्रकार भारतीय रिज़र्व बैंक ने ग्राहकों के हितों की रक्षा करते हुए फ्रॉड की सारी जिम्मेदारी बैंकों के ऊपर डाल दी है. अब बैंकों के लिए शिकायत की प्राप्ति की सूचना ग्राहक को देना अनिवार्य होगा. इसके अलावा उसे दस दिनों के भीतर ग्राहक के खाते में धोखाधड़ी वाली रकम वापस करनी होगी. बैंकों से ग्राहकों को वेबसाइट, ईमेल, आईवीआरएस और टोल-फ्री फोन नंबर का विकल्प देने को कहा गया है ताकि वह शीघ्र अपने साथ हुई धोखाधड़ी की सूचना बैंक को दे सके.
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    Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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