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    गणतंत्र दिवस 2023: भारतीय गणतंत्र की यात्रा

    Jan 24, 2023, 11:30 IST

    गणतंत्र दिवस 2023: भारत में गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मनाया जाता है और इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है. इस साल यह बुधवार को मनाया जा रहा है. 26 जनवरी, 1950 को, भारत ने अपना संविधान अपनाया और ब्रिटिश डोमिनियन से एक गणतंत्र तक भारत के परिवर्तन के रूप में मनाया. आइये भारतीय गणतंत्र दिवस के इतिहास और उत्पत्ति के बारे में इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.    

    History of Republic Day
    History of Republic Day

    गणतंत्र दिवस 2023: हर साल, 26 जनवरी को भारत में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है, इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ और देश एक गणतंत्र बन गया.

    हर साल, 26 जनवरी को पूरे देश में उत्सव और देशभक्ति के उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस साल भारत 74वां गणतंत्र दिवस मनाएगा. आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए, गणतंत्र दिवस समारोह 2023 के लिए कई गतिविधियां शुरू की गईं. आजादी का अमृत महोत्सव का मुख्य घटक युवाओं को हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ना है. गतिविधियों का उद्देश्य देश भर में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं का पता लगाना है. साथ ही, गणतंत्र दिवस समारोह 2023 का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान करना है.

    15 अगस्त 1947 को, भारत को स्वतंत्रता मिली और उस समय भारत का नेतृत्व किंग जॉर्ज VI द्वारा किया गया था जब तक कि भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू नहीं हो गया. यह वह दिन है जब भारत ने खुद को लोकतांत्रिक गणराज्य राष्ट्र घोषित किया था. भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद बने थे. 26 जनवरी 1950 में पहली बार भारत में पहला गणतंत्र दिवस मनाया गया था.

    डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति ने इरविन स्टेडयिम में भारतीय तिरंगे को फहराकर तथा 21 तोपों की सलामी के साथ भारतीय गणतंत्र की शुरूआत की थी. राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया था और 1950 से ही शुरू हुई अतिथि बुलाने की परंपरा. पहले गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो मुख्य अतिथि बनकर आए थे. प्रत्येक वर्ष पूरे देश में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में बहुत गर्व और खुशी के साथ मनाया जाता है.

    ब्रिटिश उपनिवेश से एक संप्रभु, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के तौर पर भारत का उदय निश्चित रूप से ऐतिहासिक था| यह करीब दो दशकों की लंबी यात्रा थी जिसकी शुरुआत 1930 में हुई और 1950 में यह वास्तविक स्वरूप प्राप्त कर सका.

    क्या आप जानते हैं कि इस दिन नई दिल्ली में भारत के राष्ट्रपति के सामने राजपथ पर बहुत बड़ी परेड निकाली जाती है जिसमें देश की सैन्य-शक्ति, सांस्कृतिक विविधता एवं क्षेत्रीय विविधताओं को झांकियों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है.   

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    सबसे पहले, हम गणतंत्र दिवस की उत्पत्ति के बारे में चर्चा करेंगे: 

    जब 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ था, तब हमारे देश के पास संविधान नहीं था और सम्पूर्ण शासन व्यवस्था अंग्रेजों द्वारा लागू किए गए भारत शासन अधिनियम, 1935 पर निर्भर था. वर्ष 1950 में संविधान को अंगीकार किए जाने तक भारत के प्रमुख किंग जॉर्ज VI थे. लेकिन इससे पहले अखिल भारतीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में ही पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत को एक गणतांत्रिक राष्ट्र घोषित करने का आवाहन किया था. अब, लाहौर अधिवेश के बारे में विस्तार से जानते हैं.

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    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन

    Lahore INC

    Source: www.userscontent2.emaze.com

    31 दिसंबर 1929 की मध्यरात्रि में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में भारत को गणतांत्रिक राष्ट्र घोषित करने का आवाहन किया गया था. यह अधिवेशन पं. जवाहल लाल नेहरू की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था. अधिवेशन में आए राष्ट्रवादियों ने 26 जनवरी को "स्वतंत्रता दिवस" के रूप में मनाने की शपथ ली और ब्रिटिशों से पूर्ण स्वराज के सपने को साकार करने की दिशा में आगे बढ़े. लाहौर अधिवेशन ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का मार्ग प्रशस्त किया. 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज दिवस मनाया जाना निश्चित किया गया था और हर साल 26 जनवरी को तिरंगा फहराकर पूर्ण स्वतंत्रता दिवस मनाने की शपथ ली गई थी. भारत के कई राजनीतिक दल और पूरे देश के क्रांतिकारियों ने इस दिन को सम्मान और गर्व के साथ मनाने के लिए एकजुट हुए.

    कैबिनेट मिशन प्रस्ताव:

    cabinet mission plan

    Source: www.historypak.com

    24 मार्च 1946 को कैबिनेट मिशन भारत आया था और इसमें इंग्लैंड के निम्नलिखित तीन कैबिनेट मंत्री शामिल थे:

    (i) सर पेट्रिक लॉरेंस, भारत के लिए राज्य सचिव (Sir Pethick Lawrence, Secretary of State for India)

    (ii) सर स्ट्रैफोर्ड क्रिप्स, प्रेसिडेंट ऑफ द बोर्ड ऑफ ट्रेड (Sir Stafford Cripps, President of the Board of Trade)

    (iii) अलेक्जेंडर, फर्स्ट लॉर्ड ऑफ द एडमिरैल्टी (Alexander, the First Lord of the Admiralty)

    इस मिशन के मुख्य उद्देश्य निम्न थे:

    -  भारत में संविधान निर्माण के लिए एक तंत्र स्थापित करना.

    -  अंतरिम सरकार की व्यवस्था करना.

    -  भारत एक संघ होगा जिसे रक्षा, विदेश मामलों और संचार के मामलों में फैसले करने की शक्ति होगी.

    -  कैबिनेट मिशन ने पाकिस्तान की मांग को स्वीकार नहीं किया था.

    -  सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व को प्रतिबंधित कर दिया गया था.

    - अंतरिम कैबिनेट के सभी सदस्य भारतीय होंगे और वायसरॉय का न्यूनतम हस्तक्षेप होगा.

    - संघ के विषयों के अलावा सभी अन्य अवशिष्ट शक्तियां प्रांतों में निहित कर दी जाएंगी.

    - प्रांतीय विधानसभाओँ और रियासतों के प्रतिनिधियों का गठन संविधान सभा के माध्यम से होगा और प्रांतीय विधानसभा को तीन वर्गों में बांटा गया.

    ग्रुप A: मद्रास, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रांत, बॉम्बे, बिहार और ओडीशा जैसे हिन्दू बहुल आबादी वाले क्षेत्र.

    ग्रुप B: पंजाब, सिंध, एनडब्ल्यूएफपी, बलुचिस्तान जैसे मुस्लिम बहुल आबादी वाले क्षेत्र.

    ग्रुप C: असम और बंगाल जैसे लगभग समान हिन्दू और मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र.

    यहां, इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि चाहे कैबिनेट मिशन ने पाकिस्तान की मांग को न स्वीकार किया हो लेकिन उसने प्रांतों को इस प्रकार बांटा कि यह वर्गीकरण अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान के विचार का समर्थन कर रहे थे. नतीजतन कांग्रेस ने योजना स्वीकार कर ली, मुस्लिम लीग ने पहले योजना स्वीकार की और बाद में 29 जुलाई को इसे मानने से इनकार कर दिया औऱ पाकिस्तान को हासिल करने के लिए एक्शन डे का आह्वाहन किया. 16 अगस्त 1946 को डायरेक्ट एक्शन डे के लिए निर्धारित किया गया था.

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    भारतीय संविधान सभा की बैठकें

    constituent assembly meetings

    Source: www.i1.wp.com

    भारतीय संविधान सभा, जिसका गठन भारतीय नेताओँ और ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के बीच हुई चर्चाओं का परिणाम था, की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी. इस सभा का उद्देश्य भारत का संविधान तैयार करना था जिसमें स्थायी सिद्धांत हों और इसलिए संभावित संविधान के विभिन्न पहलुओं की जाँच-पड़ताल के लिए कई समितियों का गठन किया गया. भारतीय संविधान बनने से पहले उस से संबंधित सभी सिफारिशों पर बहस और चर्चा की गई और उसमें कई बार संशोधन किया गया और तीन वर्ष के बाद 26 नवंबर 1949 को इसे आधिकारिक रूप से अपना लिया गया.

    संविधान का लागू होना

    constitution came into power

    Source: www.1.bp.blogspot.com

    हालांकि भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र राष्ट्र बन चुका था, फिर भी स्वतंत्रता की वास्तविक शक्ति 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के अस्तित्व में आने के बाद महसूस की गई थी . संविधान ने भारत के नागरिकों को अपनी खुद की सरकार द्वारा खुद को प्रशासित करने का अधिकार प्रदान किया. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली. तभी से 26 जनवरी को देश भर में गणतंत्र दिवस के रूप में उत्सव और देशभक्ति के उत्साह के साथ मनाया जा रहा है.

    Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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