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    जानें आयकर छापे के समय आपके अधिकार और कर्तव्य क्या हैं?

    Jun 5, 2017, 15:11 IST

    वित्त मंत्रालय द्वारा यह पता लगाया जाता है कि किन लोगों ने अपनी आय के हिसाब से आयकर दाखिल नही किया है. इसकी जांच का काम वित्त मंत्रालय का ‘जाँच विभाग’ करता है. इसके बाद यदि जाँच में कुछ गड़बड़ मिलता है तो आयकर विभाग उस व्यक्ति के ऑफिस, घर, दुकान, शोरूम इत्यादि पर छापा डालता है. इसे ही इनकम टैक्स की छापा या रेड कहते हैं.

    आयकर विभाग के छापे की खबर सुनते ही हवाला कारोबारियों, दुकानदारों, बेईमान नेताओं, घूसखोर अफसरों और अन्य तरीकों से काला धन कमाने वालों की हालत ख़राब हो जाती है. आयकर विभाग के छापे अक्सर उन्ही लोगों के यहाँ पड़ते है जिनके पास उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति होती है.

    वित्त मंत्रालय द्वारा यह पता लगाया जाता है कि किन लोगों ने अपनी आय के हिसाब से आयकर दाखिल नही किया है. इसकी जांच का काम वित्त मंत्रालय का ‘जाँच विभाग’ करता है. इसके बाद यदि जाँच में कुछ गड़बड़ मिलता है तो आयकर विभाग उस व्यक्ति के ऑफिस, घर, दुकान, शोरूम इत्यादि पर छापा डालता है. इसे ही इनकम टैक्स की छापा या रेड कहते हैं.

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    Image source:www.khaskhabar

    यदि आयकर विभाग को किसी भेदिये (informer) के द्वारा यह पता चल जाता है कि किसी व्यक्ति ने बहुत बड़ी मात्रा में आयकर रिटर्न में गड़बड़ी की है या बैंक लाकर्स में, व्यापार में, नकदी में, रियल एस्टेट में, सोने या अन्य कीमती धातुओं में, ऑफिस इत्यादि में अवैध तरीके से कमाया गया पैसा लगाया है तो आयकर विभाग उस आरोपी के घर, ऑफिस, रिश्तेदार, दोस्तों, बिज़नेस पार्टनर इत्यादि के यहाँ छापा मार सकता है.

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    Image source:News18.com

    यहाँ पर यह जानना भी जरूरी है कि भेदिया निम्न लोगों में से कोई भी हो सकता है जैसे: कोई प्रोफेशनल एजेंसी, प्रोफेशनल भेदिया (जो कि ऑफिस के लोगों से गुप्त तरीके से सूचनाएँ एकत्र करता है और आयकर आयुक्त को सूचना देकर अपना इनाम लेकर गायब हो जाता है), असंतुष्ट कर्मचारी, ईर्ष्यालु पड़ोसी, कम्पनी का पूर्व निदेशक, पत्नी या पति या ससुराल पक्ष के लोग और पूर्व बिज़नेस पार्टनर इत्यादि. आयकर विभाग गुप्त सूचना देने वालों की पहचान गुप्त रखता है.

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    किन मामलों में आयकर विभाग का छापा पड़ता है?

    यदि 1 करोड़ से अधिक की गैर-कानूनी धनराशि या बेहिसाब आय/परिसंपत्तियों के लिए करधारक द्वारा कर अदा नहीं करने के संबंध में विश्वसनीय सबूत होने पर आयकर विभाग का छापा पड़ जाता है.

    (आयकर विभाग द्वारा जब्त की गई आय से अधिक समाप्ति)

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    Image source:www.outlookindia.com

    सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर, आतंकवाद, तस्करी, नशीले पदार्थों, धोखाधड़ी, गैंगस्टरवाद, नकली मुद्रा, नकली स्टांप पेपर और अन्य गैर-कानूनी कामों के माध्यम से जमा किए गए बेहिसाब परिसंपत्तियों का साक्ष्य प्राप्त होने पर भी आयकर विभाग आपके खिलाफ कार्यवाही कर सकता है.

    कई बार लोग कर बचाने के लिए खातों, बिल, चालान, वाउचर, रिकॉर्ड और दस्तावेजों में हेरफेर करते हैं तो इस प्रकार की चालाकी भी आयकर विभाग की नजर में आ जाती है. 

    कई मामलों में तो ऐसा भी देखने में आता है कि यदि किसी ने अपने बेटे या बेटी की शादी में करोड़ों रुपये खर्च कर दिए या कोई बहुत महँगी कार या मकान खरीद लिया तो अख़बारों में आई ख़बरों के आधार पर भी आयकर विभाग उस व्यक्ति से उसकी आय के स्रोतों के बारे में पूछताछ कर सकता है.

    छापा कब और कैसे डाला जाता है?

    आयकर विभाग के छापे मुख्य रूप से सुबह के समय डाले जाते हैं. छापा डालने वाली टीम अपने साथ एक वारंट लेकर भी जाती है. छापा डालते समय टीम अपने साथ पुलिस भी ले जाती है जो कि पूरे ऑफिस या घर को चारों तरफ से घेर लेती है. छापा, आरोपी के दोस्तों, रिश्तेदारों और अन्य परिचितों के यहाँ भी डाले जा सकते हैं और यह पूरी प्रक्रिया 2 से 3 दिन तक चल सकती है. छापे की प्रक्रिया के दौरान आयकर टीम कंपनी के दस्तावेज, स्टॉक , नकदी रकम, आभूषण, बैंक अकाउंट की जाँच इत्यादि की जाती है. कभी कभी निगरानी टीम उस कंपनी में मौजूद लोगों, कर्मचारियों, आगंतुकों से भी प्रश्न पूछती है और इस दौरान किसी को फ़ोन भी नही करने देती है.

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    आयकर विभाग क्या जब्त नही कर सकता है?

    ऐसा नही है कि आयकर विभाग छापे के दौरान किसी भी चीज को जब्त कर लेगा, निम्न चीजों को आयकर अधिकारी हाथ नही लगा सकते जैसे:

    1.आयकर अधिकारी बिक्री के लिए रखे गए माल को जब्त नही कर सकते हैं बल्कि वे केवल इसको अपने दस्तावेजों में नोट जरूर कर सकते हैं, साथ ही स्टॉक में रखे माल की भी सिर्फ एंट्री कर सकते हैं. यह राहत घोषित और अघोषित दोनों तरह के स्टॉक के लिए लागू होती है.

    2. आयकर अधिकारी किसी ऐसी नकदी को जब्त नही कर सकते हैं जिसका पूरा लेखा जोखा उस कंपनी या आदमी के पास मौजूद है.

    3. आभूषण जो कि स्टॉक के रूप में रखे गए हैं और संपत्ति कर रिटर्न में उनको जोड़ा गया है तो उन्हें भी जब्त नही किया जा सकता है.

    4. यदि कोई करदाता सम्पत्ति कर जमा नही कर रहा है तो हर विवाहित स्त्री 500 ग्राम सोना रख सकती है, हर अविवाहित स्त्री 250 ग्राम सोना और हर आदमी 100 ग्राम तक सोना अपने पास रख सकते हैं. यदि इस सीमा के भीतर सोना आयकर विभाग को छापे के दौरान प्राप्त होता है तो वह उसे भी जब्त नही कर सकती है.

    आयकर छापे के दौरान व्यक्तियों/कंपनियों के अधिकार इस प्रकार हैं:

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    1. आयकर अधिकारियों के पास मौजूद वारंट और उनके पहचान पत्रों की जाँच करने का अधिकार

    2. यदि आयकर टीम महिलाओं की तलाशी भी लेना चाहती है तो ऐसा सिर्फ महिला आयकर कर्मी ही कर सकती है और वह भी पूरी इज्ज़त और सम्मान के साथ.

    3. व्यक्तियों/कंपनियों को गवाहों के तौर पर मोहल्ले के दो सम्मानित लोगों को बुलाने का अधिकार है.

    4. आपातकाल की दशा में डॉक्टर को बुलाने का अधिकार है.

    5. बच्चों का स्कूल बैग चेक कराकर उनको स्कूल भेजने का अधिकार है.

    6. लोगों को अपने नियत समय पर खाना खाने का अधिकार है.

    7. जिस दिन खाते की किताबों (books of account) को जब्त किया गया था उससे 180 दिन के अन्दर किताबें वापस पाने का अधिकार.

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    8. व्यक्ति द्वारा दिए गए वक्तव्य (statement) की एक प्रति मांगने का अधिकार है क्योंकि यह वक्तव्य उस व्यक्ति के खिलाफ इस्तेमाल किया जायेगा.

    9.  पंचानमा की एक प्रति मांगने का अधिकार है।

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    आयकर दाताओं या कंपनियों के निम्न कर्तव्य हैं?

    1. छापा परिसर (घर या ऑफिस) में बिना किसी बाधा और विरोध के आयकर अधिकारियों को घुसने देने का कर्तव्य.

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    2. छापा परिसर में किसी भी अनधिकृत व्यक्ति के प्रवेश की अनुमति या प्रोत्साहन ना दें.

    3. ऑफिस या घर में मौजूद सभी लोगों से अपने रिश्तों के बारे में बताना.

    4. संपत्तियों के स्वामित्व और लेखा किताब के बारे में अधिकारियों के सवालों का सही सही जबाब देना.

    5. जिन किताबों में संपत्तियों का विवरण लिखा है उनको अधिकारियों को सौंपना और यदि जरुरत पड़े तो तिजोरियों इत्यादि की चाबी भी सौंप देना.

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    Image source:CBC.ca

    6. प्राधिकृत अधिकारी के सूचना या ज्ञान के बिना जांच से सम्बंधित किसी भी दस्तावेज को मिटायें या फाड़ें नही.

    7. अगर कोई व्यक्ति झूठे वक्तव्य देता हैं तो वह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 181 के तहत कारावास, दंड या दोनों के लिए दंडनीय होगा.

    8. व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह खोज के पूरे समय में शांति बनाए रखे और जांच अधिकारियों के साथ सभी मामलों में सहयोग करे ताकि पूरी जाँच जल्दी से जल्दी शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त हो जाए.

    सारांश के रूप में यह कहा जा सकता है कि लोगों को अपनी जरूरतों को कम करने की आदत डालनी चाहिए क्योंकि यदि जरूरतें ज्यादा होंगी तो लोगों को अपनी आय से अधिक समाप्ति अर्जित करने के लिए हवाला, कर चोरी इत्यादि साधनों का सहारा लेना पड़ेगा जो कि आगे चलकर आयकर विभाग की नजर में आयेगा इस कारण वह आपके ऊपर रेड डालेगा इससे ना सिर्फ आपकी समाज में बेईज्ज़ती होगी बल्कि आप अपने बच्चों की नजरों में भी गिर जाओगे, ध्यान रखें कि धन तो दुबारा भी कमाया जा सकता है लेकिन इज्ज़त नही.

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    Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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