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    जानिये घड़ी का आविष्कार कब, किसने और किस देश में किया था?

    Jan 2, 2019, 12:31 IST

    वर्तमान समय में इस्तेमाल की जाने वाली घडी का एक बार में अविष्कार नहीं हुआ है. किसी ने पहले घंटे वाली सुई बनायी तो किसी ने मिनट वाली सुई. इस प्रकार विश्व में घड़ी का विकास कई चरणों में हुआ है. जब घडी का अविष्कार नहीं हुआ था तब लोग सूरज की रोशनी और पानी के उतार-चढ़ाव के आधार पर भी समय का पता लगा लेते थे. इस लेख में हमने घड़ी के पूरे इतिहास के बारे में बताया है.

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    आज की दुनिया में हम सब लोग घडी की सुइयों की नोंक पर दौड़ते हैं अर्थात सभी लोग समय के हिसाब से जागते हैं, ऑफिस जाते हैं, लंच करते और सोते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि उस समय के लोग अपनी दिनचर्या को कैसे चलाते होंगे जब घड़ी ही नहीं हुआ करती थी.

    इसका उत्तर है कि जब घड़ी का अविष्कार नहीं हुआ था तो लोग सूरज की दिशा को देखकर ही समय का अनुमान लगा लेते थे. लेकिन आकाश में बदल होने की स्थिति में मामला फस जाता था इसलिए लोगों ने जल घड़ी का आविष्कार हुआ जिसका श्रेय चीन को जाता है जहाँ पर "सु संग" नामक व्यक्ति ने जल घडी बनायीं थी.

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    हालाँकि लगभग सवा दो हज़ार साल पहले प्राचीन यूनान यानी ग्रीस में पानी से चलने वाली अलार्म घड़ियाँ हुआ करती थीं जिममें पानी के गिरते स्तर के साथ तय समय बाद घंटी बज जाती थी.

    water watch

    घड़ी के आविष्कार का श्रेय जाता है पोप सिलवेस्टर द्वितीय को जाता है जिन्होंने सन् 996 ईस्वी में घड़ी का आविष्कार किया था. यूरोप में घड़ियों का प्रयोग 13वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में होने लगा था. इसके अलावा सन 1288 मे इंग्लैंड के वेस्टमिस्टर के घंटाघर मे घड़ियाँ लगाई गई थीं.

    big ben watch

    हालाँकि इस समय बनी यह घड़ी आज की तरह की कम्पलीट घडी नहीं थी. घड़ी की मिनट वाली सुई का आविष्कार वर्ष 1577 में स्विट्ज़रलैंड के जॉस बर्गी ने किया था. उनसे पहले जर्मनी के न्यूरमबर्ग शहर में पीटर हेनलेन ने ऐसी घड़ी बना ली थी जिसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया सके.

    वर्तमान में हम हाथ में जो घड़ी पहनते हैं वैसी पहली घड़ी फ़्राँसीसी गणितज्ञ और दार्शनिक ब्लेज़ पास्कल ने बनायी थी. ये वही ब्लेज़ पास्कल हैं जिन्हें कैलकुलेटर का आविष्कारक भी माना जाता है. लगभग 1650 के आसपास लोग घड़ी जेब में रखकर घूमते थे, ब्लेज़ पास्कल ने एक रस्सी से इस घड़ी को हथेली में बाँध लिया ताकि वो काम करते समय घड़ी देख सकें.

    Blaise Pascal

    (ब्लेज़ पास्कल)

    ऐसा नहीं है कि भारत में समय देखने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है. दरअसल भारत में भी 5 जगहों पर जन्तर-मंतर का निर्माण भी कराया गया था ताकि इनकी मदद से सूरज की दिशा और उससे बनी परछाई के आधार पर समय का पता लगाया जा सके.

    18 वीं शताब्दी की शुरुआत में, जयपुर के महाराजा जय सिंह द्वितीय ने जयपुर, नई दिल्ली,  उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में कुल मिलाकर पांच जंतर मंतरों का निर्माण कराया था इन सभी का निर्माण 1724 और 1735 के बीच पूरा कराया गया था.

    Jantar Mantar Delhi

    (जन्तर मंतर, दिल्ली)

    इस प्रकार ऊपर दिए गए विवरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि घड़ी का अविष्कार मानव इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है जिसने पूरी मानव जाति के जीवन को ही बदल दिया है और अब हम लोग घड़ी पर इतने निर्भर हो हए हैं कि यदि एक दिन हाथ में घड़ी बांधना भूल जायें तो लगता है कि जैसे शरीर का कोई अंग घर पर छोड़ आये हों.

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    Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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