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    बर्लिन की दीवार क्यों बनाई गयी थी?

    Nov 8, 2019, 12:24 IST

    द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 1954 से 1960 के दौरान पूर्वी जर्मनी के बहुत से महत्वपूर्ण लोग पश्चिमी जर्मनी चले गये थे. इस प्रतिभा पलायन को रोकने के लिए 1961 में बर्लिन की दीवार को बनाया गया था. आइये इस लेख में जर्मनी की दीवार बनने की पूरी घटना के बारे में जानते हैं.

    Why Berlin wall made
    Why Berlin wall made


    बर्लिन की दीवार बनने का क्या कारण थे?
    पूर्वी जर्मनी में शिक्षा मुफ्त थी लेकिन पश्चिमी जर्मनी में शिक्षा पर खर्च करना पड़ता था; इस कारण जर्मन छात्र शिक्षा के लिए पूर्वी हिस्से में जाते और नौकरी के लिए पश्चिमी जर्मनी लौट आते थे. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जब जर्मनी का विभाजन हो गया, तो सैंकड़ों कारीगर, प्रोफेसर, डॉक्टर, इंजीनियर और व्यवसायी प्रतिदिन पूर्वी बर्लिन को छोड़कर पश्चिमी बर्लिन जाने लगे.

    एक अनुमान के अनुसार 1954 से 1960 के दौरान 738 यूनिवर्सिटी प्रोफेसर,15, 885 अध्यापक, 4,600 डॉक्टर और 15,536 इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञ पूर्व से पश्चिमी जर्मनी चले गए. कुल मिला कर यह संख्या 36,759 के लगभग है. लगभग 11 हजार छात्रों ने भी बेहतर भविष्य की तलाश में पूर्वी जर्मनी छोड़कर पश्चिमी जर्मनी चले गए.

    जितने लोगों ने पश्चिमी जर्मनी के लिए पलायन किया था उनको अच्छी शिक्षा पूर्वी जर्मनी में मिली थी. इस प्रतिभा पलायन के कारण पश्चिमी जर्मनी को फायदा मिलने लगा और पूर्वी जर्मनी को नुकसान होने लगा.

    यहाँ पर यह बताना भी जरूरी है कि जो लोग पूर्वी जर्मनी छोड़ना चाहते थे उनके लिए पश्चिमी बर्लिन में आकर वहां से विमान द्वारा पश्चिमी जर्मनी में जाना आसान था. इसके अलावा 1950 और 1960 के दशक के शीत युद्ध के दौरान पश्चिमी देश; बर्लिन को पूर्वी ब्लॉक की जासूसी के लिए भी इस्तेमाल करते थे.

    अब ऐसे हालातों में पूर्वी जर्मनी को इस पलायन और जासूसी को रोकने के लिए कुछ न कुछ उपाय तो करने ही थे. इन्हीं सब वजहों से परेशान होकर पूर्वी जर्मनी की समाजवादी सरकार ने 12 और 13 अगस्त, 1961 की रात में पूर्वी और पश्चिमी बर्लिन की सीमा को बंद कर दिया था.

    berlin wall construction
    बर्लिन दीवार का मुख्य मक़सद पूर्वी जर्मनी से भाग कर पश्चिमी जर्मनी जाने वाले लोगों को रोकना था. बर्लिन की दीवार की कुल लंबाई 155 किलोमीटर थी.
    पूर्वी जर्मनी की सरकार ने हजारों सैनिक सीमा पर तैनात किए और मजदूरों की मदद से रात में सीमा पर कटीले तार लगाने शुरू कर दिए थे. यहाँ तक की सड़कों पर जल रही लाइट्स को भी बंद कर दिया गया था ताकि पश्चिमी हिस्से में रहने वाले लोगों को इस दीवार की भनक ना लग सके और विरोध न हो. जब सुबह हुई तो बर्लिन शहर दो हिस्सों में बाँट चुका था. इस दीवार के कारण कई परिवार बंट गए, किसी का घर दीवार के इस तरफ था तो किसी का दीवार के उस तरफ. लोगों को समझ नही आ रहा थी कि आखिर ये क्या हो रहा है. यहाँ तक कि उस समय के अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी को भी इस बारे में कुछ पता नही था.

    berlin wall divided people
    बर्लिन दीवार कब ढहाई गयी?
    1980 के दशक में सोवियत आधिपत्य का पतन होने से पूर्वी जर्मनी में राजनैतिक उदारीकरण शुरू हुआ और पूर्वी जर्मनी में सरकार के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हुए इस कारण पूर्वी जर्मनी की समाजवादी सत्ता का अंत हुआ. 9 नवम्बर 1989 को घोषणा की गई कि बर्लिन सीमा पर आवागमन पर लगी रोक हटा ली गयी और दीवार गिरा दी गयी. जर्मन लोग दीवार के टुकड़े तोड़कर यादगार के लिए अपने अपने घर ले गए थे.

    berlin wall falling
    बर्लिन दीवार के गिरने से पूरे जर्मनी में राष्ट्रवाद का उदय हुआ और पूर्वी जर्मनी के लोगों ने जर्मनी के पुनः एकीकरण के लिए मंजूरी दे दी और 3 अक्टूबर 1990 को जर्मनी फिर से एक हो गया.
    इस प्रकार आपने पढ़ा कि जर्मनी की दीवार क्यों बनाई गयी थी और इसके टूटने के कारण कैसे जर्मनी का एकीकरण संभव हो पाया था.

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    Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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